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चैत्र नवरात्र में घोड़े पर सवार हो आएगी माँः आचार्य शर्मा वैदिक
इंदौर. 13 अप्रैल गुड़ी पड़वा से चैत्र नवरात्रि व भारतीय नववर्ष विक्रम 2078 मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है. नए सम्वत्सर का नाम राक्षस है. वर्ष मंगलवार से आरम्भ हो रहा है. अतः वर्ष का राजा मंहल होगा. संयोग से मेघेश (मौसम विभाग) का प्रभार भी मंगल के पास रहेगा. नए सम्वत्सर के मंत्रिमंडल में मङ्गल के पास राजा व मंत्री का प्रभार रहेगा. संहिता ग्रन्थों की माने तो ऐसी स्तिथि में राजनेता निरंकुश, स्वार्थी व मनमाना आचरण करने वाले होते है. वहीं चैत्र नवरात्र में माँ घोड़े पर सवार हो आएगी व हाथी पर बिदा होगी.
यह बात भारद्वाज ज्योतिष व आध्यात्मिक शोध संस्थान के शोध निदेशक आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने कही. आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि नवरात्रि पूरे नौ दिनों की रहेगी. 13 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि, अमृतसिद्धि व अमृत योग में घटस्थापना शुभ मुहूर्त में अपनी अपनी कुल परम्परा अनुसार होगी. नवदुर्गाओं का नौ दिनों तक सविधि पूजन होगा. नवरात्र में नो दिनों तक अलग अलग पदार्थों का भोग व अष्टमी व नवमी को दुर्गा सप्तशती के सात सौ मंत्रों से हवन पूजन होगा. नवमी को नवदुर्गा स्वरूपा दो से दस वर्ष की कन्या पूजन का विशेष महत्व है. 20 अप्रैल को महाष्टमी व 21 अप्रैल बुधवार को श्री राम नवमी के साथ नवरात्रोत्सव का समापन होगा.
कुछ विशेष ज्योतिषीय संयोग
आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि इस वर्ष के नवरात्र कुछ विशेष ज्योतिषीय संयोग के साथ उपस्तिथ हो रहे है. घटस्थापना की रात्रि 2 बजकर31 मिनिट पर सूर्य बृहस्पति प्रधान मीन राशि से मंगल प्रधान अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे. वर्ष प्रतिपदा व मेष संक्रांति का यह संयोग नो दशक के बाद बनेगा. घटस्थापना के दिन राहु- मंगल का अंगारक योग भी बन रहा है जो 13 अप्रैल की रात्रि 1 बजकर 13 मिनिट पर भंग होगा. द्वितीय भाव से अष्टम भाव का काल सर्प योग भी निर्मित हो रहा है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ग्रह योग जनता जनार्दन के कष्टों को ही बयां कर रहे है।
निरंकुशता की स्थिति
आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि नए सम्वत्सर का मन्ति्रमण्डल इस प्रकार होगा. राष्ट्रपति मंगल, प्रधानमंत्री व ग्रह मंत्री मंगल, मेघेश(वर्षा) का स्वामी मङ्गल व चन्द्रमा, वित्त मंत्री (धनेश) गुरु, कृषिमंत्री (धान्येश) बुध, नीरसेश व धातुओं का स्वामी शुक्र, फलेश (फलों का स्वामी)चन्द्रमा, रक्षा मंत्री (सेनापति) चन्द्रमा व रसेश सूर्य . उपर्युक्त दशाधिकारियों में मङ्गल के पास तीन प्रमुख विभागों का दायित्व है. संहिता ग्रन्थों की माने तो ऐसी स्तिथि में विभिन्न देशों के राजनेता निरंकुश, स्वार्थपूर्ण व मनमाना आचरण करते है. अग्नि कांड,प्राकृतिक आपदा, हिंसा व उपद्रव की स्तिथियाँ निर्मित होती है. सत्तारूढ़ व विपक्षी राजनेताओं के मध्य टकराव, उठापटक,आरोप प्रत्यारोप की राजनीति होती है. कुल मिलाकर निरंकुशता की स्थिति निर्मित होती है.